NCERT Books Row: खबरों के मुताबिक एनसीईआरटी ने हाल ही में 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में से महात्मा गांधी से संबंधित और 11वीं क्लास की समाजशास्त्र की बुक में से गुजरात दंगे से जुड़े पार्ट को हटाया था.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने एनसीईआरटी का बचाव किया.
एक दिन पहले ही 33 शिक्षाविदों ने एनसीईआरटी से किताबों से अपना-अपना नाम हटाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनका सामूहिक रचनात्मक प्रयास खतरे में है.

जानिए क्या कहा यूजीसी ने?
NCERT Books Row: यूजीसी प्रमुख एम जगदीश कुमार कुमार ने ट्वीट करते हुए बताया कि, ‘‘हाल ही में, कुछ शिक्षाविदों ने पाठ्यपुस्तकों में संशोधन को लेकर एनसीईआरटी पर निशाना साधा, जो अवांछित है. पाठ्यपुस्तकों में वर्तमान बदलाव पहली बार नहीं हो रहा है. एनसीईआरटी ने पहले भी समय समय पर पाठ्यपुस्तकों में संशोधन किया है.’’
उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह हाल में विद्यालयी शिक्षा पर जारी किये गये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा के आधार पर नयी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रहा है. अकादमिक भार कम करने के लिए मौजूदा पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाया गया है, जो केवल अस्थायी चरण है.
कुमार ने कहते हुए बताया कि ऐसे में, इन शिक्षाविदों की ‘आपत्तियों’ में कोई दम नहीं है. इस प्रकार का असंतोष प्रकट करने का कारण एकेडमी नहीं, बल्कि कुछ और है.
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जानिए क्या कहा शिक्षाविदों ने?
NCERT Books Row: 73 शिक्षाविदों ने गुरुवार (15 जून) को संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि एनसीईआरटी को बदनाम करने की पिछले तीन महीने से जानबूझकर कोशिश की जा रही है और यह कहा कि ‘‘शिक्षाविदों के बौद्धिक अहंकार को दर्शाता है जो चाहते हैं कि छात्र 17 साल पुरानी पाठ्यपुस्तकों को ही पढ़ते रहें.’’
उन्होंने बयान देते हुए कहा है कि, ‘‘प्रमुख सरकारी संस्थान एनसीईआरटी को बदनाम करने और पाठ्यक्रम अपडेट करने के लिए अत्यावश्यक प्रक्रिया को बाधित करने की पिछले तीन महीने से जानबूझकर कोशिश की जा रही हैं.’’
यह है मामला?
NCERT Books Row: एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से कई विषयों और अंशों को हटाने से पिछले महीने यह विवाद शुरू हुआ था. विवाद के मूल में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पाठ्यपुस्तकों को तर्कसंगत बनाने की कवायद के तहत किये गये परिवर्तनों को अधिसूचित किया गया था, लेकिन विवादास्पद रूप से हटाई गई कुछ सामग्री का उल्लेख नहीं किया गया था.
एनसीईआरटी ने नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में से ‘महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्प्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू अतिवादियों को उकसाया,’ और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध’ सहित कई पाठ्य पार्ट को हाल में हटा दिया था.
वहीं, 11वीं कक्षा की समाजशास्त्र की बुक से गुजरात दंगों के अंश को भी हटा दिया गया है. एनसीईआरटी ने हालांकि कहा था कि पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की कवायद पिछले वर्ष की गई और इस साल जो कुछ हुआ है, वह नया नहीं है.