8th Pay Commission: OPS के बाद 8वें वेतन आयोग के गठन पर आंदोलन की घोषणा, आक्रोश में हैं दो करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनर्स
8th Pay Commission: राज्यों और केंद्र में ‘पुरानी पेंशन’ का उन्माद है। देशभर में लगभग दो करोड़ कर्मचारी और सेवानिवृत्त लोग इस समय आठवें वेतन आयोग की स्थापना से परेशान हैं। केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के मुताबिक, सरकार का आठवां वेतन आयोग बनाने का कोई इरादा नहीं है। यह सुझाव दिया गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के सदस्यों और राज्य के अधिकारियों के लिए आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू की जाएं।
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8th Pay Commission: सुभाष लांबा नें व्यक्त किया खेद
8th Pay Commission: अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग का गठन न करने के फ़ैसले पर खेद व्यक्त किया है। सरकार की पसंद का विरोध करने वाला एक आंदोलन खड़ा होगा। अनगिनत केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे। फेडरेशन की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर केंद्र सरकार के इस फ़ैसले का विरोध करते हुए राष्ट्रीय आंदोलन की घोषणा की जाएगी।
एक दूसरे से हैं नाराज़
8th Pay Commission: सुभाष लांबा का दावा है कि केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की यह टिप्पणी बताती है कि सरकार के लक्ष्य में 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख सेवानिवृत्त लोगों के लिए आठवें वेतन आयोग की स्थापना शामिल नहीं है। इस बयान से राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशन को भी गंभीर नुकसान हुआ है। वे सभी एक दूसरे से नाराज हैं।
8th Pay Commission: दिया गया है ये सुझाव
8th Pay Commission: यह सुझाव दिया गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के सदस्यों और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशें जनवरी 2026 में प्रभावी होंगी। सबसे हालिया वेतन आयोग 2013 में स्थापित किया गया था, और इसके सुझावों को 2016 में लागू किया गया था।
नए पैनल का किया जाएगा गठन
28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में राष्ट्रीय आंदोलन की घोषणा की जाएगी। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हर राज्य से करीब 600 प्रतिनिधि शामिल होंगे। महासचिव ए श्री कुमार के मुताबिक हर दस साल में पेंशन और वेतनमान की समीक्षा के लिए एक वेतन पैनल का गठन किया जायेगा।
एनपीएस में बदलाव की संभावना
आठवें वेतन आयोग के गठन में केंद्र सरकार की अनिच्छा से राज्य कर्मचारियों के लिए दरवाजे स्वत: बंद हो गये हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लगभग 67.95 लाख सेवानिवृत्त और 48.67 केंद्रीय कर्मचारी हैं। राज्य सरकार और पीएसयू कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की संख्या इससे अधिक है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा के मुताबिक, वित्त सचिव के बयान से संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार एनपीएस में बदलाव करने की योजना बना रही है।
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की रिपोर्ट है कि सभी पक्षों के साथ हमारी बातचीत अब ख़त्म हो गई है। हम जल्द ही अपनी रिपोर्ट दाखिल करेंगे। लांबा ने साफ कहा कि कर्मचारी एनपीएस में कोई भी बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे। कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट को रद्द करने और पुरानी पेंशन की बहाली से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।
आरबीआई नें किया आगाह
ओपीएस पर हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा एक जांच की गई थी। आरबीआई के विश्लेषण के मुताबिक, अगर पुरानी पेंशन योजना एनपीएस की जगह लेती है तो सरकारी खजाने पर भार 4.5 गुना बढ़ जाएगा। इसके अतिरिक्त, 2060 तक, इससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ सकता है, जो संभावित रूप से सकल घरेलू उत्पाद का 0.9 प्रतिशत हो सकता है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक, ओपीएस बहाल होने पर राज्यों की वित्तीय स्थिति ख़राब हो सकती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब 2004 में नई पेंशन योजना शुरू की गई थी, तो राज्य सरकारें अपने राजस्व का 10% पेंशन योगदान पर खर्च करती थीं। लेकिन 2020-2021 तक यह बढ़कर 25% हो गया। वर्तमान में, पांच राज्यों ने एनपीएस से ओपीएस पर वापस जाने का विकल्प चुना है, जिससे उनका कार्यभार बढ़ जाएगा।